आज का विचार - प्रेम ( Quote Of the day)
उसी एक बिंदु की ही तो तलाश है हम सबको, जहाँ कपट न हो, जहाँ गंदगी न हो, जहाँ हर समय आपको डरा हुआ और सतर्क न रहना पड़ता हो, जहाँ आपको हर समय ये डर न लगा रहता हो कि कोई धोखा कर जाएगा। -आचार्य प्रशांत
संबंध बुरा नहीं होता, बुरे व्यक्ति से संबंध बुरा होता है। -आचार्य प्रशांत
प्रेम हटना जानता है, क्योंकि प्रेम दूसरे का हित चाहता है। मोह सिर्फ अपना हित चाहता है, तो वो सिर्फ चिपकता है। प्रेम निःस्वार्थ है और मोह में गहरा स्वार्थ है। -आचार्य प्रशांत
अगर कोई ऐसा है जिसका दिल टूटता है इस बात से कि आप गहराई क्यों पा रहे हैं? ऊँचाई क्यों पा रहे हैं? तो वो व्यक्ति किसी के लिए ठीक नहीं है- न आपके लिए, न अपने लिए। -आचार्य प्रशांत
जिसको पाया जा सकता है उसका भोग होता है प्रेम नहीं। प्रेम सिर्फ उसी से हो सकता है जो अनंत है माने जिसे पाया नहीं जा सकता। जिसको पा लिया वो चीज़ तो आपके आयाम कि होगी या आपसे छोटी होगी, आपके हाथ की होगी, आप भोग डालोगे उसको। -आचार्य प्रशांत
लोग कहते हैं सच्चा प्यार होता नहीं, मैं कहता हु सच्चा प्यार तुमसे बरदास्त होता नहीं। -आचार्य प्रशांत
बड़ा कठिन-सा जान पड़ रहा है ‘प्रेम’। क्योंकि इसमें स्वार्थों की पूर्ति होती नहीं दिखती है। शायद इसीलिए कोई बिरला ही होता है जो किसी से सच्चा प्रेम कर पाता है। -आचार्य प्रशांत
असली प्रेम में एक दूसरे से प्यार नहीं किया जाता है, बल्कि एक दूसरे को बेहतर बनाया जाता है। एक दूसरे को ऊंचाई और बेहतरी दी जाती है। -आचार्य प्रशांत
जब दूसरे से कुछ लेना चाहो, जब दूसरे के जीवन पर छाना चाहो तो जान लेना कि प्रेम नहीं है। -आचार्य प्रशांत
साथी को पकड़े रहने का ख़्याल तभी आता है जब जीवन में सार्थक तत्व की अनुपस्थिति होती है। -आचार्य प्रशांत
मुझे बड़ा ताज्जुब होता है, सबसे ज्यादा बात आपस में ये प्रेमी लोग करते हैं लेकिन जितना झूठ प्रेम में बोला जाता है, उतना कहीं नहीं बोला जाता। -आचार्य प्रशांत
जो दुःख भोग रहा है उसकी बड़ी से बड़ी निशानी ये है कि वो अपने दुःख का कारण हमेशा किसी और को ठहराता है। दुःख भोगता हुआ व्यक्ति या किसी भी ताप में जलता हुआ व्यक्ति ये जान हो जाए कि उसके दुःख का कारण, उसके ताप का कारण मात्र वो स्वयं ही है तो उसका दुःख चलेगा इतने दिन ? -आचार्य प्रशांत
प्रेम अधिकार नहीं दिलाता प्रेम मुक्ति दिलाता है; तो मैं मुक्त होना चाहता हूं। -आचार्य प्रशांत
जिस रिश्ते का आधार अध्यात्मिक नहीं है, वो रिश्ता अत्यन्त खतरनाक है। -आचार्य प्रशांत
अध्यात्म में बहुत बात होती है सम्बन्धों की, वासना की बहुत चर्चा होती है।इसलिए होती है क्योंकि तुम उसमें धंस के बिल्कुल ज़िंदगी को नर्क बना लेते हो। इसलिए नहीं कि सम्बन्धों में कुछ बुराई है। इसलिए क्योंकि हमारे सम्बंध हमारी बेहोशी से निकलते हैं। उस बेहोशी में बहुत बुराई है। तुम होश में सम्बंध बनाओ, उसमें कैसे कोई बुराई हो सकती है। -आचार्य प्रशांत
भूलिएगा नहीं, संसार के लोग प्रेम से नहीं स्वार्थ से चलते हैं; प्रेम सीखना पड़ता है। -आचार्य प्रशांत